8TH SEMESTER ! भाग- 46 ( Turning Point )
"तोड़ दे, टेबल को... पैसा भरना फिर... तब तो फट के हाथ मे आ जाएगी..."
और उसके बाद मैने सच मे वो टेबल तोड़ दिया, वहाँ मौजूद सभी लोग चौक गये, सिदार और बाकी सीनियर्स वहाँ से जा चुके थे, बस हम कुछ ही लड़के वहाँ बैठे थे....जब मैं गुस्से से टेबल तोड़ रहा था तो कई लड़को ने अरुण से ये भी पुछा कि मैं ऐसा क्यूँ कर रहा हूँ, तो अरुण ने उन्हे जवाब दिया कि मैं इलेक्शन जीतने की खुशी मे एडवांस मे ही टेबल तोड़ रहा है.......
"बस हो गया या कुछ और करने का विचार है..."मैं जब शांत हुआ तो अरुण ने मुझसे पुछा"सिगरेट पिएगा..."जवाब मे मैने सिर्फ़ अपना हाथ उसकी तरफ किया.....
इलेक्शन ख़त्म हुआ तो सोचा कि थोड़ी बहुत पढ़ाई-लिखाई अब हो जाएगी,लेकिन तभी फ्रेशर पार्टी सर पर आ गयी, सब उसके फंक्शन की तैयारियो मे जुड़ गये...हमारे यहाँ फ्रेशर पार्टी दो बार होती थी,एक बार सबकी साथ मे और फिर दूसरी बार हॉस्टल के सीनियर्स, हॉस्टल के 1st ईयर के लड़को को हॉस्टल मे अलग से पार्टी देते थे....लेकिन मज़ा तो सबके साथ वाली वाली पार्टी मे ही आता था क्यूंकी वहाँ हमारे कॉलेज की आइटम लोग भी रहती थी और रात भर नाच-गाने का प्रोग्राम चलता था, जिसमे सीनियर जो जिंदगी ने माल नही पटा पाए थे कभी वो अपनी सीनियर बंदियों पर ट्रॉय मारते थे और अक्सर जूनियर लड़कियों को अपने साथ उलूल जुलूल का डांस करने का न्योता देकर चांस मारा करते थे... वैसे यदि सही मायने मे देखा जाए तो लड़किया पटाना उतना मुश्किल भी नही...
ये सिर्फ दो बातो पर निर्भर करता है की..
1. आपके पास लड़की से फेस टू फेस बात करने की हिम्मत है या नही.
2. रिजेक्शन सहने की आपकी क्षमता....
बस ये दो क्वालिटी हो तो आप रैपचिक से रैपचिक माल पटा सकते हो... वो क्या है ना की लड़कियों के पटाने के 2 यूनिवर्सल laws है.. जिसका प्रतिपादन मैने यानी की स्वयं श्री अरमान ने किया है.... अब जब मैने किया है तो संदेह तो रहना ही नही चाहिए किसी को... क्यूंकि अरमान का दूसरा नाम ही सत्य है. 🙄 Anyway, मै लड़की पटाने के दो नियमो के बारे मे बता रहा था.. वो दो नियम निम्नलिखित है....
1. हर लड़की पटती है... चाहे वो खुद को कितना शरीफ दिखाए.. चाहे वो कितनी भी अमीर हो... बस आपके अंदर जूनून होना चाहिए....
2. कोई भी माल पटा सकता है.. इसके लिए जरूरी नही की लड़का टॉल, डार्क & हैंडसम हो...
बकलोल से बकलोल लड़के यदि आप अपने नजदीकी पार्क मे जायेंगे टू झक्कास माल के साथ बैठे हुए, किश करते हुए मिल जायेंगे...
हर बार फ्रेशर पार्टी ब्रांच वाइज़ होती थी,लेकिन इस बार नही..... इस बार सब ब्रांच वालो का एक साथ फंक्शन था....ये सोच मेरा मतलब.. ऐसे पुरे फर्स्ट ईयर का फ्रेशर पार्टी एक साथ रखना... ये बिल्कुल ही बेकार था. बाकी ये बात अलग है कि उस वक़्त वो मुझे पसंद आया था.... क्यूंकी सब एक साथ रहेंगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा...
उस दिन सनडे था, अरुण सुबह से ही रूम से गायब था. उसका खास दोस्त होने के नाते जब वो सुबह जा रहा था तो मुझे पुछना चाहिए था कि वो कहाँ जा रहा है ,लेकिन मैने नही पुछा... क्यूंकि मुझे लगा की यही कही छिल्टयी या सिटियाबाजी करने जा रहा होगा वो और दोपहर को जब मैं चादर तान के गहरी नींद मे था तो मेरे रूम का दरवाज़ा बहुत ज़ोर से किसी ने पीटा...
"अबे, आ रहा हूँ..."इतना बोलकर मैं फिर सो गया और कुछ देर बाद फिर दरवाज़ा किसी ने ज़ोर से पीटा...
"क्या है, जा... बाद मे आना..."बोलकर मैं फिर सो गया और दरवाज़ा पर एक बार फिर ज़ोर से दस्तक हुई....
"अबे मैं हूँ,अरुण...."
"बाद मे आना, अभी हिला रहा हूँ....बस थोड़ी देर और रुक जा......"
"जल्दी खोल दे यार, वरना लंबे से पेला जाऊंगा ..."और उसने एक बार फिर दरवाज़ा ज़ोर से पीटा...
"रुक आ रहा हूँ..."अरुण को गालियाँ देते हुए मैने बिस्तर छोड़ा और रूम का गेट खोला.."क्या है, क्यूँ इतना तूफान मचा रक्खा है..."
"फस गये बे..."अंदर आते ही अरुण ने जोर से दरवाज़ा बंद किया और बिस्तर पर कंबल ओढ़ कर बोला"अभी कोई टीचर आए तो बोल देना कि...सर इसकी तबीयत दो दिन से खराब है और ये यही दो दिन से बेड पर पड़ा है... हिला तक नही है "
"कौन सर आ रहे है.."गेट खोलते हुए मैने कहा"और तेरी इतनी क्यूँ फट रही है..."
"गर्ल्स हॉस्टल घुसे थे, तो कुछ लड़कियो ने देखकर शोर मचा दिया और अब उनकी हॉस्टल वॉर्डन यहाँ आ रही है....."
"निकल रूम से.."अरुण का कंबल दूर करते हुए मैने कहा"तेरे चक्कर मे मैं भी जाउन्गा...."
"संभाल ले यार,फिर एक खुशख़बरी दूँगा..."और उसने फिर से कंबल ताना.....
गर्ल्स हॉस्टल की वॉर्डन उन दो तीन लड़कियो के साथ हॉस्टल मे आई,जिन्होने शोर मचाया था कि कुछ लड़के उनके हॉस्टल मे है....मुझे उस वक़्त कुछ नही सूझा, सो कर उठा था इसलिए दिमाग़ को रन करने मे अभी थोड़ा टाइम लग रहा था...लेकिन फिर भी मैने कुछ किया...मेरे पास जो एक कंबल पड़ी थी उसको भी अरुण के उपर डाल दिया और उसे काँपने के लिए बोल दिया....और अपनी रुमाल को पानी से भिगो कर उसके सर पर रखा और गेट खोल दिया...
"ये कौन सोया हुआ है..."गर्ल्स हॉस्टल की वॉर्डन हमारे हॉस्टल के वॉर्डन के साथ अंदर आई,और जिन दो लड़कियो ने अरुण और इसके दोस्तो को देखा था वो दोनो बाहर ही खड़ी रही....
"सर, ये मेरा दोस्त है...बेचारा बहुत बीमार है दो दिनो से..."मैने अरुण के सर से रुमाल हटाकर भिगोया और वापस उसके सर पर रखते हुए कहा"दो दिन से ये उठा भी नही है..."
"तो इसके घरवालो को इनफॉर्म किया..."
"वो रेलवे स्टेशन मे है, बस कुछ देर मे ही आ जाएँगे..."
"यू नालयक, ये बीमार है और तुम मुझे आज बता रहे हो"और फिर गर्ल'स हॉस्टल की वॉर्डन की तरफ देखकर हमारे वॉर्डन ने वहाँ से चलने के लिए कहा....
उन सबके जाने के बाद मैने गेट बंद किया , दो - दो कम्बल ओढने के कारण अरुण पसीने से पीरा भीग चुका था....
"अब बता ये सब क्या चल रहा है..."मैने पुछा...
"Bhu किसी लड़की को आइ लव यू ,बोलने गया था..तो मैं भी उसके साथ हो लिया..."
"वो डेढ़ फुटिया कुछ ज्यादा नही उचक रहा... वो तो है ही.. पर तु... तु....?..."
"चुप बे... bhu लेजेंड आदमी है...वो तेरी तरह फटू नही है...वो बिंदास उस लौंडिया को आइ लव यू ,बोल के आया है.. जिससे वो प्यार करता है और उसने कहा है कि यदि वो लड़की उससे सेट हो जाएगी तो वो मेरे साथ भी अपनी गर्लफ्रेंड शेयर करेगा ... इसीलिए अपुन उसके साथ गया "
"अबे तुम्हारी.... हॉस्टल के बाहर अपने प्यार का इज़हार करते तो क्या होता, उसी ने अपने हॉस्टल वॉर्डन को बताया होगा कि कुछ लड़के उनके हॉस्टल मे घुस आए है..."
"ना.. ना... वो तो कुछ लड़कियो ने देख लिया था और शोर मचा दिया..."
"चल ये बता..."टॉपिक चेंज करते हुए मैने एक सिगरेट सुलगाया और धुआ अरुण के मूह पर फेक्ता हुआ बोला"यही खुशख़बरी तू सुनाने वाला था क्या मुझे..."
"अरे हां, मैं तो भूल ही गया..."उसने मेरे कंधे पर अपना हाथ रक्खा और ज़ोर से मेरा गर्दन दबाते हुए बोला"हम इलेक्शन जीत गये....बे..."
"क्याआ , गर्दन छोड़..मारेगा क्या..."
"चल आज दारू पिलाएगा..."
" सिगरेट...only. दारू ख़राब चीज है ."
" रुक जा , तु दारू नही पीता ना. रुक तु... जब सिदार प्रेसीडेंट बनने की खुशी मे पार्टी देगा,तब तेरे आगे से भी और पीछे से भी दारू भरेगा और तूने अपना मोबाइल क्यूँ ऑफ किया हुआ है...? सिदार ने मुझे कॉल किया था और उसी वक़्त मैं और bhu गर्ल'स हॉस्टल पीछे सड़ चढ़ रहे थे... सिदार के उसी कॉल की वजह से हम पकड़े गये...यदि टेक्निकली देखा जाए, तो इन वजह तू है"
"यदि टेक्निकली देखा जाए तो उस खड़ूस वॉर्डन से तुझे बचाया भी मैने ही है..."जब अरुण ने गर्दन से अपना हाथ नही हटाया तो मैने उसे बिस्तर पर धक्का देते हुए कहा"ये बता गौतम , सेकेंड ईयर से जीता या हारा...."
"जीत गया बे वो भी... साला कुछ ज्यादा ही पॉपुलर है लगता है.. अपने बैच मे... उसके दोस्त को खड़ा किया, उसी के विरोध मे. फिर उसका वोट काटने के लिए उसके एक और दोस्त को खड़ा किया... लेकिन तब भी बहुत बड़े मार्जिन से जीत गया.,...उनकी पार्टी सिर्फ़ सेकेंड एअर से जीती है और रही बात मेरी.. यानी की तेरी... तो फर्स्ट एअर मे तू एकतरफ़ा जीता है, approx. 80 % वोट्स तुझे मिले है.. फर्स्ट ईयर मे... कॉलेज वाले बता रहे थे की आज तक कोई इतने मार्जिन से नही जीता...."
" अभी तू देख, मैं इस कॉलेज का नक्शा ही बदल दूँगा....वैसे थैंक्स "मैने फिर एक कश खींचा और बोला"फ्रेशर पार्टी कब है..."
"कौन सी वाली, हॉस्टल वाली या फिर..."
"वही,जिसमे टीचर्स, लड़किया,सिटी वाले भी शामिल रहते है..." अरुण को बीच मे रोक कर मैने कहा...
"तू उस पार्टी मे जाने के अरमान छोड़ दे,...सिदार जाने नही देगा..."
"क्यूँ..."मैं चौक गया था,जब उसने कहा की सिदार मुझे पार्टी मे जाने नही देगा.... मै तो ईशा को प्रपोज करने का प्लान बना रहा था उसी दिन...
" हॉस्टल वाले कभी ,उस पार्टी मे नही जाते...स्पेशली वो जो सिदार के करीब रहते है..."
"क्यूँ,.."मैं फिर चौक गया, क्यूंकी ये सब तो मुझे मालूम ही नही था....
"फ्रेशर पार्टी का सारा मैनेजमेंट सिटी वाले देखते है और अपनी होशियारी पेलते रहते है...हॉस्टल वाले ना तो पार्टी फंड मे पैसे देते है और ना ही उस पार्टी मे जाते है...."
"ये तो ग़लत है यार ! "मैं इस बार भी चौका,लेकिन थोड़ा कम....."ये तो बिल्कुल ग़लत है यार, ऐसे मे तो लफडा और बढ़ता है...."
"देख अरमान , मैने कहीं पढ़ा था कि एक अकेला इंसान समुंदर के तूफान मे कश्ती नही चला सकता,..."
"मैं कप्तान जैक स्पैरो हूँ , खुद को तो समुंदर के तूफान से निकाल ही सकता हूँ...."हँसते हुए मैने कहा...
"मतलब की तू उस पार्टी मे जाएगा..."
"मैं नही, सिदार खुद भेजेगा उस पार्टी मे मुझे और तुझे भी....और कोई है...? जिसे जाना है तो बता देना... "
"Bhu को ले लेते है, वो अपनी होने वाली गर्लफ्रेंड के साथ मुझे भी प्यार करने देगा, इसलिए ...लेकिन तू ये करेगा कैसे...सिदार कोई दूध पीता बच्चा तो नही है"
"अब सिदार कोई दूध पीता बच्चा नही है तो मैं भी कोई दूध पीता बच्चा नही हूँ, I' M Shri Arman.., एक यांत्रिकी अभियंता(मेकॅनिकल इंजिनियर )"
और बस फिर क्या था.. मै लग गया जुगाड़ मे. मेरे जैसा होने का एक फायदा ये है की हम अपनी कमजोरी जानते है और अपने जैसो की भी.... यदि किसी आदमी के सबसे नाजुक स्थान की बात की जाए तो जहन मे सबसे पहले उसके दोनों टांगो के बीच वाला अंग आता है.. लेकिन उससे भी नाजुक कमजोरी जो हमारी होती है वो है हमारा अहम्... बस उसपे आघात करो.. फिर देखो करनामा.. बंदा उलूल जुलूल हरकते करने के लिए मजबूर हो जायेगा.. और यही काम अभी मै सिदार के साथ कर रहा था....
" हां, उसने बिल्कुल ऐसा ही बोला..."मैं फुल ताव से बोला"उसे हमारी पॉवेर दिखानी ही होगी, हॉस्टल की पावर दिखानी होगी.."और फिर थोड़ी देर रुक कर मैने तेज आवाज़ मे कहा"उसे आपकी पावर दिखानी होगी, एमटीएल भाई..."
"कितने लड़को को लेकर जा रहा है..."
"वैसे तो मैं अकेले ही चला जाता, लेकिन फिर भी दो लड़के है साथ मे..."
"और यदि मैं सही हूँ,तो वो दो लड़के वही है...जो आज सुबह गर्ल्स हॉस्टल मे घुसे थे,राइट..."
"आपको कैसे पता "चौकते हुए मैने कहा, तो सिदार ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रक्खा और बोला"और कितने झूठ बोलेगा...सीधे-सीधे क्यूँ नही बोलता कि तेरा मन वेलकम पार्टी मे जाने का है..."
"ये भी पता है...? "
Kaushalya Rani
26-Nov-2021 06:40 PM
Good
Reply